गुरूजी अपने बड़े मनोहारी
गुरूजी अपने बड़े परोपकारी
गुरुजी से हम सब हैं लेते
क्या उनको अब अर्पण हो
भाव हमारा, भक्ति हमारी
दर्शन की इच्छा रखते हैं
गुरुजी हमसे कुछ ना मांगें
प्यार हमें वोह करते हैं
हमने अपने गुरूजी जैसे
गुरूजी नहीं पाए अब तक
यह लेना वोह भी लेना है
कहते रहते मन में हम
गुरूजी हमको कहते रहते
जो लेना है ले लो तुम
हमने उनको उनसे माँगा
उनके दर्शन पा जाने पर
उन्होंने अपने पास बुलाया
हमें ज्ञान का पाठ पढ़ाया
मुझमें हैं कई भेद अभेद
मैं हूँ सब देवन का देव
हमने जब-जब प्यार से देखा
होते जाते गुरुवर अपने हैं
सब कुछ पाया है उन ही से
करते सफल सब सपने हैं
हमको अपने पास बिठाकर
अपनी बतियाँ वोह कहते हैं
मनभावन के गीत लिखा कर
भक्ति प्रेम के मेघ घने कर
अपने मन में धारण करते हैं
हम गुरूजी के "सबसे अपने " हैं
अपने गुरुजी हैं शिव शंकर
अपने गुरूजी नानक देव
अपने गुरूजी हैं साईं राम
अपने गुरूजी देवन के देव
अपने गुरूजी ज्योत स्वरुप
अपने गुरुजी तीन लोक के भूप
अपने गुरूजी बिन कब चलते
इस दुनिया के कारज अनेक
सारे जग के पालनहारी को
मेरी स्तुति यह मेरी भेंट
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