Saturday, 18 August 2012

गुरूजी के जवाब


गुरूजी के जवाब

जब अनगिनत नए कई  सवाल उमड़ आते हैं 

मन शीतल, शांत और आप से जुड़ जाता है 
तब मन  में  जवाब,  आपका मन कह जाता है
हरेक कोरे प्रश्ठ को भर जाता है 
  
हम  हैं  साज़ , हमें  कोई  और  ही  बजाता  है !!! 
हम  हैं  धुन , हमें  कोई  और  ही  गाता  है !!!
हमारी  दुनियाहमें   कोई  और  ही  चलाता  है !!!
हम  बड़े  किस्म  के , हमें  पास  कोई  और  ही  तो  लाता  है !!!
हम  हैं  बाती , हमें  कोई  और  ही  जलाता   है !!!
हम  कहानी , हमें  गाथा  कोई  सुनाता है !!!

हमसे  पहले , हमारे बाद भी आप हैं शाश्वत,  
हमारे  अतीतवर्तमान  और  भविष्य  के आप निर्माता हैं,
आप हमारे  भगवान्  और  दोस्त  दोनों  बन  जाते  हैं, 
परेशान  होते  हैं कई बार जब हमआप हल  हमें  बताते  हैं,
राज  करते  हैं  दिलों  पर  हमारे,  फिर  भी  सिर्फ  गुरूजी आप क्यों  कहलाते  हैं ???


दिए  जल  रहे  हैं , दिए  बुझ  रहे  हैं -- आपने  रोशनी   के  भी  मार्ग  रोशन  किये  हैं  
कभी बहने  लगे  हैं  कभी  रुकने  लगे  हैं -- आपने  स्वर  ले  लिए  और  बाँध  दिए  हैं 
हम  मिल  रहे  हैं , हम  बिछड़  रहे  हैं -- दूर  कितने  और  अपने  सबसे  पास  लिए  हैं 
सहमे  से , सिमटे  से , लगते  हैं  किनके  से -- हमारे  रिश्तों  को  आपने  नए  आयाम  दिए  हैं 
समीप  आते  हैं  हम  जब  कभी  आपके -- भरम  हमारे  सारे  चूर  चूर  किये  हैं 
हर  जटिल , हर  कठिन  प्रशन  को -- आपने अपने  कथनों  में , अपने  वचनों  में  अपनी  वाणी  में  हमको  ब्यान  किये  हैं 
हम  जब  थक  गए  और भटक  गए थे  -- हमारे  बनकर  सारथि  हमें  संभाल  लिए  हैं 
ठोकर  खाने  ना  दी , नींद  आने  ना  दी -- आपने  अपने  जगमग  सितारे  प्रदान  किये  हैं 
रुक  गए  हैं , चल  दिए  हैं -- आपने  रास्तों  पर  भी  हमारे  इख्तियार  किये  हैं 

बात  कहते  रहे,  वाकिफ  कराते  रहे -- आपको आपसेआपने   दे  दिया 
रुक  गए  हैं , चल  दिए  हैं -- आपने  रास्तों  पर  भी  हमारे इख्तियार  किये  हैं 
आपने  आब  दी , आपने  शान  दी , आपसे मैं  बनी  -- अपने  हिस्से  की  मैंने  छवि  मांग  ली 
क्योंकि  हमको आपके  साए  में  खोना  है -- आप  को  हम  सब  का  सम्राट  होना  है 


जवाब आते रहे सवालों के मेरे
मैं लिखती रही, मैं लिखती रही
सवालों को जवाबों में बुनती रही
बुनती रही, बुनती रही ......

जय गुरूजी 

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