मेरी पहली इबादत ....
मेरी पहली इबादत है आपकी,
मैं उड़ती पतंग हूँ सदा आपकी
मेरी डोरी न काटे से कटती कभी
मुझे छोड़ा न हाथों से आपने कभी
मैं आपसे अलग हूँ, मैं आपसे जुड़ी
मैं तो कुछ भी नहीं, कुछ भी नहीं
मैं शाम एक रंगों की बदलती हुई,
मैं खिलती कली एक गुलिस्तान की
मैं खिलती कली एक गुलिस्तान की
मैं जलता दिया, आंच है आपकी
आप तरुवर मेरे, मैं चिड़िया बनी
आप सरोवर मेरे, मैं मीन बनती गयी
आप झील के हो कँवल, मैं कुछ भी नहीं
आपको पल-पल में हर पल संजोती रही ,
आपके साँचे में संचित मैं ढलती रही,
आपके दरसनों में छुपाई हैं प्रीतें बड़ी
ढूँढने से किसी को वोह न पायीं कभी
बहुत पाकीज़ा, मामूली सी, बेनाम सी
आपके दिल की मासूम धड़कन हूँ मैं
पुष्प प्रांगण की प्यारी सी धूलि उड़ी
दिव्य ज्योति में अपनी समा लो प्रभु
अपने मंदिर के आँचल को पाकर प्रभु
आपकी तरह संग सबका पाती रहूँ
मेरी हसरत नहीं कि मैं कुछ भी बनूँ
मुझको अपने ह्रदय में समा लो प्रभु
जय गुरूजी
Beautifully described Guruji, Our Life, our Soul. Guruji Bless All. Jai Guruji.
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