गुरूजी को मेरा नमन


गुरूजी को मेरा नमन

गुरूजी नमन करूँ मैं तुमरा,
तुमरी ही मैं करून बड़ाई
तुमरी कृपा से ही मुझमें
क्या ऐसी शक्ति है आई

जब नभ पर मेघ छा जाते हैं
और अन्धकार बढ़ जाते हैं
मेरे गुरुवर फिर चीर घनेरा
ज्ञान का रस बरसाते हैं

हम गिर पड़ते वोह उठाते हैं
हम रो पड़ते वोह हँसाते हैं
हम गलत वोह सही बताते हैं
हमरी बिगड़ी वोही बनाते हैं

गुरु कृपा से हम बन जाते हैं
बिगड़े कारज बन जाते हैं

मेरे गुरुवर मेरे गुरुवर
तुम मुझे भी दो इतना मनोबल




जय गुरूजी 

No comments:

Post a Comment