गुरूजी आप प्यार
से भी प्यारे
हैं
हमसे पूछिए क्या
आप हमारे हैं
कभी समझाते कभी बतलाते
सबको अपने पास हैं बुलाते
कितने बेजान खाली चित्रों
में
कूची फेर जीवन के रंग भर जाते
कभी सरस्वती , कभी लक्ष्मी
कभी प्रियवर बनकर आ जाते
कभी जीवित , कभी जीवन मुक्त
हमें सब ही से भिन्न बनाते
परम पुरुष हैं आप सदा शिव
गुरूजी मेरे का वेश धर आते
पृष्ठ -पृष्ठ, हर पृष्ठ है कोरा
हमारे खाली जीवन
में आकर
अपने जीवन का नया पृष्ठ लगाते
हमारे व्यक्तित्व को परिपूर्ण कर जाते
गुरुजी मेहरबान हैं, मेहरें हैं आपकी
तोड़ेंगे आप तो टूट जायेंगे
जोड़ेंगे तो जुड़ जायेंगे
हम
हम तो गुड़ियाँ
हैं आपकी
हँसाओगे तो हंस देंगे
रुलाओगे तो रो देंगे हम
रूठ जायेंगे तो मनाएंगे हम
जीवन मरण की डगर कठिन है
जीवन मरण की डगर कठिन है
जीवन मुक्ता भी नहीं सरल है
आपसे यहाँ कहीं ना मिलन है
यह जीवन काजल की इक कोठरी
दिव्यता, रोशनी दिला दीजिये
मेरा मन है सरोवर एक ठहरा हुआ
मुझपर बस इतनी कृपा कीजिये
मुझे अपनी चरनी
लगा लीजिये
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