Sunday, 26 August 2012

हे गुरुवर मेरे




सुख दाता हो तुम,
मेरी प्रातः हो तुम
हे गुरुवर, मेरे
जन्मदाता हो तुम



कष्ट हरते हो तुम
मेरे कर्ता हो तुम
हे गुरुवर, मेरे
उद्धारकर्ता हो तुम

प्रश्न जो भी मिले
हल हैं तुमने किये
हे गुरुवर, मेरे
हलकर्ता हो तुम


बलशाली हो तुम
मैंने पाया तुम्हें
हे गुरुवर मेरे
सुखप्रदाता हो तुम



मुझको देते रहे दान
करती हूँ मैं तुम्हें प्रणाम
हे गुरुवर मेरे
मेरे वरदाता हो तुम


जय गुरूजी..




Saturday, 18 August 2012

गुरूजी के जवाब


गुरूजी के जवाब

जब अनगिनत नए कई  सवाल उमड़ आते हैं 

मन शीतल, शांत और आप से जुड़ जाता है 
तब मन  में  जवाब,  आपका मन कह जाता है
हरेक कोरे प्रश्ठ को भर जाता है 
  
हम  हैं  साज़ , हमें  कोई  और  ही  बजाता  है !!! 
हम  हैं  धुन , हमें  कोई  और  ही  गाता  है !!!
हमारी  दुनियाहमें   कोई  और  ही  चलाता  है !!!
हम  बड़े  किस्म  के , हमें  पास  कोई  और  ही  तो  लाता  है !!!
हम  हैं  बाती , हमें  कोई  और  ही  जलाता   है !!!
हम  कहानी , हमें  गाथा  कोई  सुनाता है !!!

हमसे  पहले , हमारे बाद भी आप हैं शाश्वत,  
हमारे  अतीतवर्तमान  और  भविष्य  के आप निर्माता हैं,
आप हमारे  भगवान्  और  दोस्त  दोनों  बन  जाते  हैं, 
परेशान  होते  हैं कई बार जब हमआप हल  हमें  बताते  हैं,
राज  करते  हैं  दिलों  पर  हमारे,  फिर  भी  सिर्फ  गुरूजी आप क्यों  कहलाते  हैं ???


दिए  जल  रहे  हैं , दिए  बुझ  रहे  हैं -- आपने  रोशनी   के  भी  मार्ग  रोशन  किये  हैं  
कभी बहने  लगे  हैं  कभी  रुकने  लगे  हैं -- आपने  स्वर  ले  लिए  और  बाँध  दिए  हैं 
हम  मिल  रहे  हैं , हम  बिछड़  रहे  हैं -- दूर  कितने  और  अपने  सबसे  पास  लिए  हैं 
सहमे  से , सिमटे  से , लगते  हैं  किनके  से -- हमारे  रिश्तों  को  आपने  नए  आयाम  दिए  हैं 
समीप  आते  हैं  हम  जब  कभी  आपके -- भरम  हमारे  सारे  चूर  चूर  किये  हैं 
हर  जटिल , हर  कठिन  प्रशन  को -- आपने अपने  कथनों  में , अपने  वचनों  में  अपनी  वाणी  में  हमको  ब्यान  किये  हैं 
हम  जब  थक  गए  और भटक  गए थे  -- हमारे  बनकर  सारथि  हमें  संभाल  लिए  हैं 
ठोकर  खाने  ना  दी , नींद  आने  ना  दी -- आपने  अपने  जगमग  सितारे  प्रदान  किये  हैं 
रुक  गए  हैं , चल  दिए  हैं -- आपने  रास्तों  पर  भी  हमारे  इख्तियार  किये  हैं 

बात  कहते  रहे,  वाकिफ  कराते  रहे -- आपको आपसेआपने   दे  दिया 
रुक  गए  हैं , चल  दिए  हैं -- आपने  रास्तों  पर  भी  हमारे इख्तियार  किये  हैं 
आपने  आब  दी , आपने  शान  दी , आपसे मैं  बनी  -- अपने  हिस्से  की  मैंने  छवि  मांग  ली 
क्योंकि  हमको आपके  साए  में  खोना  है -- आप  को  हम  सब  का  सम्राट  होना  है 


जवाब आते रहे सवालों के मेरे
मैं लिखती रही, मैं लिखती रही
सवालों को जवाबों में बुनती रही
बुनती रही, बुनती रही ......

जय गुरूजी 

गुरूजी से चंद सवाल


जब अनगिनत नए कई  सवाल उमड़ आते हैं 
सवालों के इस अथाह समंदर में खोई-खोई
मैं  उत्सुकता और  हैरानी मन में  लेकर 
आपसे मिलने की तरजीह करती  हूँ
मनन और चिंतन में  खोयी रहती हूँ    
आप की दस्तक कई कई बार होती है 

गुरूजीआप से  मिल  जाएँ   हल मुझे सारे ,
क्या  यह  हो  सकता  है ????

अपनी बातों  में  उलझे  से  हम  क्यों  हैं ???
हद से बेहद  हो जाते हमारे गुरूर क्यों  हैं ???

इंसान से  दूर,  जानवर  से  प्रबल  क्यों  हैं ???
टूटे हुएथके से  पथिक  हम   क्यों  हैं ???
आपके चरणों  से  हम  जुदा   क्यों  हैं ???
हर श्वास से निकलने को तड़पती है आत्मा जबरन ,
फिर इस पिंजड़े में हम कैद और नज़रबंद क्यों हैं  ???
अपने से कम नहीं दूरफिर आप से जुदा क्यों  हैं ???
कब के मिलते -मिलते,  कब के बिछड़े हम क्यों  हैं ???
फिर भी हर धड़कन में महसूस आप हमको  क्यों  हैं ???
याद हर बार करते हैं लेकिन आपको पाते हम क्यों  नहीं हैं ???

आप  हैं  हमारे तो यह जिस्म आपसे  अलग  क्यों  हैं  ???
आपके साए  में  आतिश  और  महफूज़  हैं  लेकिन 
बदसूरत , बेनाम  हमारे यह  अक्स दिखते क्यों  हैं ???

जैसे  हम  जल  को  शुद्ध  करते  हैं 
क्या   आप  भी  हमें  सिद्ध  करते  हैं ??? 

इल्म  है  हमको  और  यह  ज्ञान  भी  है ,
आप  से  दूर  और  हम  कुछ  भी  तो  नहीं,   
काश  हम  हर  बार  आपको  ही  पायें,
मार्गदर्शक  बन जाएँ  हमारेआपके  साए, 
आपकी  याद  कभी  मद्धमऑंखें  नम  ना  होने  पाएं,  
हम  भूले  से  कभी  भुलाने  का  सबब  नहीं  देंगे,  
आप  जान हमारे , प्रेम  कभी  कम  नहीं  होने  देंगे,  
आपको हर सांस और धड़कन में धारण कर लें
आपको कह दें अपनी बातें हम सुकून कर लें…..

जय गुरूजी